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(प्रसिद्ध तबलावादक किशन महाराज की एक जुगलबंदी की याद)


एक गर्वीले औद्धत्य में

हाशिया बजेगा मुख्यधारा की तरह

लोग समझेंगे यही है केन्द्र शक्ति का सौन्दर्य का

केन्द्र मुँह देखेगा विनम्र होकर

कुछ का कुछ हो रहा है समझा जायेगा

कई पुरानी लीकें टूटेंगी इन क्षणों में

अनेक चीज़ों का विन्यास फिर से तय होगा

अब एक नई तमीज़ की ज़रूरत होगी