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कह-मुकरियाँ / अमीर खुसरो

2,440 bytes added, 17:53, 2 जून 2007
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१.<br>
खा गया पी गया <br>
दे गया बुत्ता <br>
ऐ सखि साजन? <br>
ना सखि कुत्ता <br><br>
खा गया पी गया दे गया बुत्ता क्यों सखी साजन ! ना सखी कुत्ता ! २.<br>
लिपट लिपट के वा के सोई <br>
छाती से छाती लगा के रोई <br>
दांत से दांत बजे तो ताड़ा। ताड़ा <br>ऐ सखी सखि साजन? ना सखी, सखि जाड़ा!<br><br>
३.<br>
रात समय वह मेरे आवे <br>
भोर भये वह घर उठि जावे <br>
यह अचरज है सबसे न्यारा <br>
ऐ सखि साजन? ना सखि तारा <br><br>
 
४.<br>
नंगे पाँव फिरन नहिं देत<br>
पाँव से मिट्टी लगन नहिं देत<br>
पाँव का चूमा लेत निपूता <br>
ऐ सखि साजन? ना सखि जूता <br>
 
५.<br>
ऊंची अटारी पलंग बिछायो <br>
मैं सोई मेरे सिर पर आयो <br>
खुल गई अंखियां भयी आनंद। आनंद <br>ऐ सखी सखि साजन? ना सखी, सखि चांद! <br><br>
६.<br>
जब माँगू तब जल भरि लावे <br>
मेरे मन की तपन बुझावे <br>
मन का भारी तन का छोटा <br>
ऐ सखि साजन? ना सखि लोटा <br><br>
 
७.<br>
वो आवै तो शादी होय <br>
उस बिन दूजा और न कोय <br>
मीठे लागें वा के बोल। बोल <br>ऐ सखी सखि साजन? ना सखी, सखि ढोल! <br><br>
८.
बेर-बेर सोवतहिं जगावे <br>
ना जागूँ तो काटे खावे <br>
व्याकुल हुई मैं हक्की बक्की <br>
ऐ सखि साजन? ना सखि मक्खी <br><br>
 
९.<br>
अति सुरंग है रंग रंगीले <br>
है गुणवंत बहुत चटकीलो<br>
राम भजन बिन कभी न सोता <br>
ऐ सखि साजन? ना सखि तोता <br><br>
 
१०.<br>
आप हिले और मोहे हिलाए <br>
वा का हिलना मोए मन भाए <br>
हिल हिल के वो हुआ निसंखा। निसंखा <br>ऐ सखी सखि साजन? ना सखी, सखि पंखा! <br><br> ११.<br>अर्ध निशा वह आया भौन <br>सुंदरता बरने कवि कौन <br>निरखत ही मन भयो अनंद<br>ऐ सखि साजन? ना सखि चंद<br><br> १२.<br>शोभा सदा बढ़ावन हारा<br>आँखिन से छिन होत न न्यारा <br>आठ पहर मेरो मनरंजन<br> ऐ सखि साजन? ना सखि अंजन <br><br> १३.<br>जीवन सब जग जासों कहै<br> वा बिनु नेक न धीरज रहै<br>हरै छिनक में हिय की पीर<br>ऐ सखि साजन? ना सखि नीर<br><br> १४.<br>बिन आये सबहीं सुख भूले<br>आये ते अँग-अँग सब फूले<br>सीरी भई लगावत छाती<br>ऐ सखि साजन? ना सखि पाती<br><br>
१५.<br>
सगरी रैन छतियां पर राख <br>
रूप रंग सब वा का चाख <br>
भोर भई जब दिया उतार। उतार <br>ऐ सखी साजन? ना सखी, सखि हार!<br><br>
१६.<br>
पड़ी थी मैं अचानक चढ़ आयो <br>
जब उतरयो तो पसीनो आयो <br>
सहम गई नहीं सकी पुकार। पुकार <br>ऐ सखी सखि साजन? ना सखी, सखि बुखार!<br><br>
१७.
सेज पड़ी मोरे आंखों आए <br>
डाल सेज मोहे मजा दिखाए <br>
किस से कहूं अब मजा में अपना। अपना <br>ऐ सखी सखि साजन? ना सखी, सखि सपना! <br><br>
१८.
बखत बखत मोए वा की आस <br>
रात दिना ऊ रहत मो पास <br>
मेरे मन को सब करत है काम। काम <br>ऐ सखी सखि साजन? ना सखी, सखि राम! <br><br>
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