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"काश! अपना भी कोई चाहने वाला हो जाए / गोविन्द गुलशन" के अवतरणों में अंतर

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10:10, 14 अप्रैल 2009 का अवतरण

काश ! अपना भी कोई चाहने वाला हो जाए ज़िन्दगी जीने का अंदाज़, निराला हो जाए

इसक़दर तीरगी फैली है ज़मीं पर यारो चाँद जो छत से उतर आए, तो काला हो जाए

मैं अगर चाहूँ तो, मिट जाए ग़रीबी मेरी मेरी क़िस्मत में भी सोने का निवाला हो जाए

रौशनी कब से नज़रबंद है आँखों में तेरी तू नज़र अपनी, उठादे तो उजाला हो जाए

रोज़ दिल तेरे लिए ये ही दुआ करता है ऐ ग़ज़ल मेरी तेरा हुस्न दुबाला हो जाए