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कभी ये कांटे फूल थे | कभी ये कांटे फूल थे | ||
मैं दगाबाज प्रेमियों से नफरत करता हूँ | मैं दगाबाज प्रेमियों से नफरत करता हूँ | ||
− | + | कवियों ने मरुस्थल से कन्नी काट ली है | |
बगीचों की ओर लौटने में | बगीचों की ओर लौटने में | ||
सिर्फ यहाँ ऊँट बचे, और व्यापारी | सिर्फ यहाँ ऊँट बचे, और व्यापारी | ||
जो रौंद डालते हैं मेरी लाली को धूल में | जो रौंद डालते हैं मेरी लाली को धूल में | ||
− | पानी की हर दुष्प्राप्य | + | पानी की हर दुष्प्राप्य बूंद के लिए एक काँटा |
मैं तितलियों को नहीं ललचाता | मैं तितलियों को नहीं ललचाता | ||
− | कोई चिड़िया मेरी | + | कोई चिड़िया मेरी प्रशंसा में गीत नहीं गाती |
मैं अकाल नहीं उपजाता | मैं अकाल नहीं उपजाता | ||
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− | '''मूल मलयालम से स्वयं कवि द्वारा | + | '''मूल मलयालम से स्वयं कवि द्वारा अंग्रेज़ी में अनूदित। अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद: व्योमेश शुक्ल |
12:59, 14 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
कांटे मेरी भाषा हैं
मैं अपने होने का उद्घोष करता हूँ
एक रक्तिम स्पर्श के साथ
कभी ये कांटे फूल थे
मैं दगाबाज प्रेमियों से नफरत करता हूँ
कवियों ने मरुस्थल से कन्नी काट ली है
बगीचों की ओर लौटने में
सिर्फ यहाँ ऊँट बचे, और व्यापारी
जो रौंद डालते हैं मेरी लाली को धूल में
पानी की हर दुष्प्राप्य बूंद के लिए एक काँटा
मैं तितलियों को नहीं ललचाता
कोई चिड़िया मेरी प्रशंसा में गीत नहीं गाती
मैं अकाल नहीं उपजाता
मैं एक भिन्न सौन्दर्य रच लेता हूँ
चंद्रमा की रोशनी के पार
सपनों की ओर
एक तीखी, भेदक
प्रतिभाषा
मूल मलयालम से स्वयं कवि द्वारा अंग्रेज़ी में अनूदित। अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद: व्योमेश शुक्ल