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"दूबों के दरबार में / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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क्या आकाश उतर आया है | क्या आकाश उतर आया है | ||
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दूबों के दरबार में? | दूबों के दरबार में? | ||
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नीली भूमि हरी हो आई | नीली भूमि हरी हो आई | ||
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इस किरणों के ज्वार में ! | इस किरणों के ज्वार में ! | ||
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क्या देखें तरुओं को उनके | क्या देखें तरुओं को उनके | ||
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फूल लाल अंगारे हैं; | फूल लाल अंगारे हैं; | ||
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बन के विजन भिखारी ने | बन के विजन भिखारी ने | ||
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वसुधा में हाथ पसारे हैं। | वसुधा में हाथ पसारे हैं। | ||
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नक्शा उतर गया है, बेलों | नक्शा उतर गया है, बेलों | ||
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की अलमस्त जवानी का | की अलमस्त जवानी का | ||
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युद्ध ठना, मोती की लड़ियों से | युद्ध ठना, मोती की लड़ियों से | ||
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दूबों के पानी का! | दूबों के पानी का! | ||
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तुम न नृत्य कर उठो मयूरी, | तुम न नृत्य कर उठो मयूरी, | ||
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दूबों की हरियाली पर; | दूबों की हरियाली पर; | ||
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हंस तरस खाएँ उस मुक्ता | हंस तरस खाएँ उस मुक्ता | ||
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बोने वाले माली पर! | बोने वाले माली पर! | ||
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ऊँचाई यों फिसल पड़ी है | ऊँचाई यों फिसल पड़ी है | ||
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नीचाई के प्यार में! | नीचाई के प्यार में! | ||
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क्या आकाश उतर आया है | क्या आकाश उतर आया है | ||
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दूबों के दरबार में? | दूबों के दरबार में? | ||
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19:17, 15 अप्रैल 2009 का अवतरण
क्या आकाश उतर आया है
दूबों के दरबार में?
नीली भूमि हरी हो आई
इस किरणों के ज्वार में !
क्या देखें तरुओं को उनके
फूल लाल अंगारे हैं;
बन के विजन भिखारी ने
वसुधा में हाथ पसारे हैं।
नक्शा उतर गया है, बेलों
की अलमस्त जवानी का
युद्ध ठना, मोती की लड़ियों से
दूबों के पानी का!
तुम न नृत्य कर उठो मयूरी,
दूबों की हरियाली पर;
हंस तरस खाएँ उस मुक्ता
बोने वाले माली पर!
ऊँचाई यों फिसल पड़ी है
नीचाई के प्यार में!
क्या आकाश उतर आया है
दूबों के दरबार में?