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"बदरिया थम-थमकर झर री ! / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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बदरिया थम-थनकर झर री !
 
बदरिया थम-थनकर झर री !
 
 
सागर पर मत भरे अभागन
 
सागर पर मत भरे अभागन
 
 
गागर को भर री !
 
गागर को भर री !
 
 
  
 
बदरिया थम-थमकर झर री !
 
बदरिया थम-थमकर झर री !
 
 
एक-एक, दो-दो बूँदों में
 
एक-एक, दो-दो बूँदों में
 
 
बंधा सिन्धु का मेला,
 
बंधा सिन्धु का मेला,
 
 
सहस-सहस बन विहंस उठा है
 
सहस-सहस बन विहंस उठा है
 
 
यह बूँदों का रेला।
 
यह बूँदों का रेला।
 
 
तू खोने से नहीं बावरी,
 
तू खोने से नहीं बावरी,
 
 
पाने से डर री !
 
पाने से डर री !
 
 
  
 
बदरिया थम-थमकर झर री!
 
बदरिया थम-थमकर झर री!
 
 
जग आये घनश्याम देख तो,
 
जग आये घनश्याम देख तो,
 
 
देख गगन पर आगी,
 
देख गगन पर आगी,
 
 
तूने बूंद, नींद खितिहर ने
 
तूने बूंद, नींद खितिहर ने
 
 
साथ-साथ ही त्यागी।
 
साथ-साथ ही त्यागी।
 
 
रही कजलियों की कोमलता  
 
रही कजलियों की कोमलता  
 
 
झंझा को बर री !
 
झंझा को बर री !
 
 
  
 
बदरिया थम-थमकर झर री !
 
बदरिया थम-थमकर झर री !
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19:26, 15 अप्रैल 2009 का अवतरण

बदरिया थम-थनकर झर री !
सागर पर मत भरे अभागन
गागर को भर री !

बदरिया थम-थमकर झर री !
एक-एक, दो-दो बूँदों में
बंधा सिन्धु का मेला,
सहस-सहस बन विहंस उठा है
यह बूँदों का रेला।
तू खोने से नहीं बावरी,
पाने से डर री !

बदरिया थम-थमकर झर री!
जग आये घनश्याम देख तो,
देख गगन पर आगी,
तूने बूंद, नींद खितिहर ने
साथ-साथ ही त्यागी।
रही कजलियों की कोमलता
झंझा को बर री !

बदरिया थम-थमकर झर री !