"मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | ||
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उस सीमा-रेखा पर | उस सीमा-रेखा पर | ||
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जिसके ओर न छोर निशानी; मचल | जिसके ओर न छोर निशानी; मचल | ||
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घास-पात से बनी वहीं | घास-पात से बनी वहीं | ||
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मेरी कुटिया मस्तानी, | मेरी कुटिया मस्तानी, | ||
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कुटिया का राजा ही बन | कुटिया का राजा ही बन | ||
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रहता कुटिया की रानी ! | रहता कुटिया की रानी ! | ||
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मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | ||
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राज-मार्ग से परे, दूर, पर | राज-मार्ग से परे, दूर, पर | ||
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पगडंडी को छू कर | पगडंडी को छू कर | ||
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अश्रु-देश के भूपति की है | अश्रु-देश के भूपति की है | ||
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बनी जहाँ रजधानी । | बनी जहाँ रजधानी । | ||
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मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | ||
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आँखों में दिलवर आता है, | आँखों में दिलवर आता है, | ||
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सैन-नसैनी चढ़कर, | सैन-नसैनी चढ़कर, | ||
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पलक बाँध पुतली में | पलक बाँध पुतली में | ||
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झूले देती कस्र्ण कहानी। | झूले देती कस्र्ण कहानी। | ||
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मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | ||
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प्रीति-पिछौरी भीगा करती | प्रीति-पिछौरी भीगा करती | ||
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पथ जोहा करती हूँ, | पथ जोहा करती हूँ, | ||
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जहाँ गवन की सजनि | जहाँ गवन की सजनि | ||
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रमन के हाथों खड़ी बिकानी। | रमन के हाथों खड़ी बिकानी। | ||
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मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | ||
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दो प्राणों में मचे न माधव | दो प्राणों में मचे न माधव | ||
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बलि की आँख मिचौनी, | बलि की आँख मिचौनी, | ||
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जहाँ काल से कभी चुराई | जहाँ काल से कभी चुराई | ||
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जाती नहीं जवानी। | जाती नहीं जवानी। | ||
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मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | ||
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भोजन है उल्लास, जहाँ | भोजन है उल्लास, जहाँ | ||
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आँखों का पानी, पानी! | आँखों का पानी, पानी! | ||
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पुतली परम बिछौना है | पुतली परम बिछौना है | ||
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ओढ़नी पिया की बानी। | ओढ़नी पिया की बानी। | ||
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मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | ||
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प्रान-दाँव की कुंज-गली | प्रान-दाँव की कुंज-गली | ||
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है, गो-गन बीचों बैठी, | है, गो-गन बीचों बैठी, | ||
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एक अभागिन बनी श्याम धन | एक अभागिन बनी श्याम धन | ||
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बनकर राधारानी। | बनकर राधारानी। | ||
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मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | ||
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सोते हैं सपने, ओ पंथी ! | सोते हैं सपने, ओ पंथी ! | ||
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मत चल, मत चल, मत चल, | मत चल, मत चल, मत चल, | ||
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नजर लगे मत, मिट मत जाये | नजर लगे मत, मिट मत जाये | ||
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साँसों की नादानी। | साँसों की नादानी। | ||
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मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी ! | ||
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19:30, 15 अप्रैल 2009 का अवतरण
मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी !
उस सीमा-रेखा पर
जिसके ओर न छोर निशानी; मचल
घास-पात से बनी वहीं
मेरी कुटिया मस्तानी,
कुटिया का राजा ही बन
रहता कुटिया की रानी !
मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी !
राज-मार्ग से परे, दूर, पर
पगडंडी को छू कर
अश्रु-देश के भूपति की है
बनी जहाँ रजधानी ।
मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी !
आँखों में दिलवर आता है,
सैन-नसैनी चढ़कर,
पलक बाँध पुतली में
झूले देती कस्र्ण कहानी।
मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी !
प्रीति-पिछौरी भीगा करती
पथ जोहा करती हूँ,
जहाँ गवन की सजनि
रमन के हाथों खड़ी बिकानी।
मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी !
दो प्राणों में मचे न माधव
बलि की आँख मिचौनी,
जहाँ काल से कभी चुराई
जाती नहीं जवानी।
मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी !
भोजन है उल्लास, जहाँ
आँखों का पानी, पानी!
पुतली परम बिछौना है
ओढ़नी पिया की बानी।
मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी !
प्रान-दाँव की कुंज-गली
है, गो-गन बीचों बैठी,
एक अभागिन बनी श्याम धन
बनकर राधारानी।
मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी !
सोते हैं सपने, ओ पंथी !
मत चल, मत चल, मत चल,
नजर लगे मत, मिट मत जाये
साँसों की नादानी।
मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी !