भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: कवि: माखनलाल चतुर्वेदी Category:कविताएँ Category:माखनलाल चतुर्वेदी ~*~*~*~*~*~*~*~ म...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=माखनलाल चतुर्वेदी | |
− | + | |संग्रह= | |
− | + | }} | |
− | + | <poem> | |
− | + | ||
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | ||
− | |||
प्रलय-प्रणय की मधु-सीमा में | प्रलय-प्रणय की मधु-सीमा में | ||
− | |||
जी का विश्व वसा दो मालिक! | जी का विश्व वसा दो मालिक! | ||
− | |||
− | |||
रागें हैं लाचारी मेरी, | रागें हैं लाचारी मेरी, | ||
− | |||
तानें बान तुम्हारी मेरी, | तानें बान तुम्हारी मेरी, | ||
− | |||
इन रंगीन मृतक खंडों पर, | इन रंगीन मृतक खंडों पर, | ||
− | |||
अमृत-रस ढुलका दो मालिक! | अमृत-रस ढुलका दो मालिक! | ||
− | |||
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | ||
− | |||
जब मेरा अलगोजा बोले, | जब मेरा अलगोजा बोले, | ||
− | |||
बल का मणिधर, स्र्ख रख डोले, | बल का मणिधर, स्र्ख रख डोले, | ||
− | |||
खोले श्याम-कुण्डली विष को | खोले श्याम-कुण्डली विष को | ||
− | |||
पथ-भूलना सिखा दो मालिक! | पथ-भूलना सिखा दो मालिक! | ||
− | |||
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | ||
− | |||
प्रहर-प्रहर की लहर-लहर पर | प्रहर-प्रहर की लहर-लहर पर | ||
− | |||
तुम लालिमा जगा दो मालिक! | तुम लालिमा जगा दो मालिक! | ||
− | |||
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! | ||
+ | </poem> |
19:32, 15 अप्रैल 2009 का अवतरण
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!
प्रलय-प्रणय की मधु-सीमा में
जी का विश्व वसा दो मालिक!
रागें हैं लाचारी मेरी,
तानें बान तुम्हारी मेरी,
इन रंगीन मृतक खंडों पर,
अमृत-रस ढुलका दो मालिक!
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!
जब मेरा अलगोजा बोले,
बल का मणिधर, स्र्ख रख डोले,
खोले श्याम-कुण्डली विष को
पथ-भूलना सिखा दो मालिक!
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!
प्रहर-प्रहर की लहर-लहर पर
तुम लालिमा जगा दो मालिक!
मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!