भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उठ जाग मुसाफिर भोर भई / भजन

24 bytes added, 14:27, 17 अप्रैल 2009
{{KKGlobal}}{{KKBhajan}}
उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो तू सोवत है