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ऋषभ देव शर्मा (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह= }} <Poem> पूज पाया जो नहीं इंसा...) |
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01:50, 18 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
पूज पाया जो नहीं इंसान को!
पूज पायेगा कहाँ भगवान् को??
दूसरों का हक़ दबाना चाहते
पूजते हैं लोग वे शैतान को!!
पूज्य हैं सबसे प्रथम माता-पिता,
सीखना यह चाहिए संतान को!!
देश में राजा भले पुजते रहें,
पूजती दुनिया मगर विद्वान् को!!