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क़त्ल इन्होंने करवाए हैं
गीत अहिंसा के गाये हैं
सारे मोती चुने इन्होंने
हमने तो आँसू पाए हैं
दोपहरी इनकी रखेल है
अपने तो साथी साए हैं
जल्लादों ने प्रह्लादों को
विष के प्याले भिजवाए हैं
अश्वमेध वालों से कह दो
अब की तो लव - कुश आए हैं
नयनों में लौ-लपट झूमती
मुट्ठी में ज्वाला लाए हैं