भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गीत हैं मेरे सभी उनको सुनाने के लिए / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह=तेवरी / ऋषभ देव शर्मा }} <Poem> ग...)
 
(कोई अंतर नहीं)

01:17, 26 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण

गीत हैं मेरे सभी उनकों सुनाने के लिए
तेवरी मेरी सभी तुमको जगाने के लिए

रक्त मेरा चाहिए तो शौक़ से ले जाइए
सिर्फ़ स्याही चाहिए अक्षर उगाने के लिए

रात सबकी चाँद नी में स्नान कर फूले-फले
यह पसीना ही मुझे काफ़ी नहाने के लिए

धर लिया ज्वालामुखी अब लेखनी की नोंक पर
सूर्य की किरणें चलीं लावा बहाने के लिए

शीत लहरों के शहर में सनसनी सी फैलती
धूप ने कविता लिखी है गुनगुनाने के लिए.