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"हमको देखो ज़रा क़रीने से / गोविन्द गुलशन" के अवतरणों में अंतर
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18:19, 27 अप्रैल 2009 का अवतरण
हमको देखो ज़रा क़रीने से हम नज़र आएँगे नगीने से
तुम मिलो तो निजात मिल जाए रोज़ मरने से, रोज़ जीने से
रोज़ आँखें तरेर लेता है एक तूफ़ाँ मेरे सफ़ीने से
मेहनतों का सिला मिलेगा तुम्हें प्यार हो जाएगा पसीने से
कोहरे का गुमान टूट गया धूप आने लगी है ज़ीने से
अब तो आँसू भी ख़त्म हो आए कैसे निकलेगी आग सीने से
दिल के ज़ख़्मों को क्या कहें "गुलशन" नाग लिपटे हुए हैं सीने से