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"पल्लू की कोर दाब दाँत के तले / उमाकांत मालवीय" के अवतरणों में अंतर

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कवि: [[उमाकांत मालवीय]]
 
[[Category: पल्लू की कोर दाब दाँत के तले]]
 
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पल्लू की कोर दाब दाँत के तले
 
 
कनखी ने किये बहुत वायदे भले ।
 
 
 
 
कंगना की खनक
 
 
पड़ी हाथ हथकड़ी ।
 
 
पाँवों में रिमझिम की बेडियाँ पड़ी ।
 
 
 
 
सन्नाटे में बैरी बोल ये खले,
 
 
हर आहट पहरु बन गीत मन छले ।
 
 
 
 
नाजों में पले छैल सलोने पिया,
 
 
यूँ न हो अधीर,
 
 
तनिक धीर धर पिया ।
 
 
 
 
बँसवारी झुरमुट में साँझ दिन ढले,
 
 
आऊँगी मिलने में पिय दिया जले ।
 

02:29, 27 अगस्त 2006 का अवतरण