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"पल्लू की कोर दाब दाँत के तले / उमाकांत मालवीय" के अवतरणों में अंतर

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पल्लू की कोर दाब दाँत के तले
  
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कनखी ने किये बहुत वायदे भले ।
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कंगना की खनक
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पड़ी हाथ हथकड़ी ।
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पाँवों में रिमझिम की बेडियाँ पड़ी ।
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सन्नाटे में बैरी बोल ये खले,
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हर आहट पहरु बन गीत मन छले ।
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नाजों में पले छैल सलोने पिया,
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यूँ न हो अधीर,
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तनिक धीर धर पिया ।
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बँसवारी झुरमुट में साँझ दिन ढले,
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आऊँगी मिलने में पिय दिया जले ।

09:51, 27 अगस्त 2006 का अवतरण

पल्लू की कोर दाब दाँत के तले

कनखी ने किये बहुत वायदे भले ।


कंगना की खनक

पड़ी हाथ हथकड़ी ।

पाँवों में रिमझिम की बेडियाँ पड़ी ।


सन्नाटे में बैरी बोल ये खले,

हर आहट पहरु बन गीत मन छले ।


नाजों में पले छैल सलोने पिया,

यूँ न हो अधीर,

तनिक धीर धर पिया ।


बँसवारी झुरमुट में साँझ दिन ढले,

आऊँगी मिलने में पिय दिया जले ।