भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जितना है खुशपोश पलंग / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह=तेवरी / ऋषभ देव शर्मा }} <Poem>ज...)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:43, 2 मई 2009 के समय का अवतरण

जितना है खुशपोश पलँग
उतना ही बेहोश पलँग

जागा सुन उद्घोष पलँग
सह न सका आक्रोश पलँग

निर्दोषों का खून हुआ
साक्षी है खामोश पलँग

खाटों को गाली बकता
मय पीकर मदहोश पलँग

जिसके माथे मुकुट बँधे
भरे उसे आगोश पलँग

मुखिया आदमखोरों का
कब करता संतोष पलँग

साफ बरी होता मढ़कर
औरों के सिर दोष पलँग

यार ! हथौड़ों से तोड़ें
अपराधों का कोश पलँग