भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मंचों को छोडो सड़कों प उतर आओ / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह=तेवरी / ऋषभ देव शर्मा }} <Poem>म...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:51, 2 मई 2009 के समय का अवतरण
मंचों को छोड़ो सड़कों पे उतर आओ
ये मुजरे छोड़ो अब नया तेवर गाओ
वे तो हमेशा छीनते रहे हैं रोटी
उठो, हक़ हासिल करो, हाथ मत फैलाओ
सबसे बड़ा देव है महनतकश आदमी
अंधी कुटी में आस्था के दीप जलाओ
बिखर न जाय यह टुकड़ा-टुकड़ा आसमान
लरजते शीशे को टूटने से बचाओ
कौन रोकेगा तुम्हें ‘निराला’ बनने से
मिमियाना छोड़ो तुम शेर हो गुर्राओ