भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हादसे अब घटने चाहिएँ / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह=तेवरी / ऋषभ देव शर्मा }} <Poem>ह...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
01:02, 2 मई 2009 के समय का अवतरण
हादसे अब घटने चाहिएँ
यार ! बादल छँटने चाहिएँ
कुर्सी मरखनी हो गई है
इसके सींग कटने चाहिएँ
पढ़ो ‘रा’ से रोटी, रथ नहीं
श्रम के गीत रटने चाहिएँ
भरे गोदाम से अनाज के
पहरे सभी हटने चाहिएँ
‘जनगण की छातियों में दफ़न
ज्वालामुखी फटने चाहिएँ