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"फूल हैं हम हाशियों के / यश मालवीय" के अवतरणों में अंतर

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चित्र हमने हैं उकेरे  
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चित्र हमने हैं उकेरे आँधियों में भी दियों के,
  
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हमें अनदेखा करो मत फूल हैं हम हाशियों के
  
हमें अनदेखा करो मत
 
  
फूल हैं हम हाशियों के ।
 
  
  
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करो तो महसूस, भीनी गंध है फैली हमारी,
  
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हैं हमी में छुपे, तुलसी – जायसी, मीरा – बिहारी,
  
करो तो महसूस,
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हमें चेहरे छल न सकते धर्म के या जातियों के ।
  
भीनी गंध है फैली हमारी,
 
  
हैं हमी में छुपे,
 
  
तुलसी – जायसी, मीरा – बिहारी,
 
  
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मंच का अस्तित्व हम से हम भले नेपथ्य में हैं,
  
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माथे की सलवटों सजते ज़िंदगी के कथ्य में हैं,
  
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धूप हैं मन की, हमीं हैं, मेघ नीली बिजलियों के ।
  
हमें चेहरे छल न सकते
 
  
धर्म के या जातियों के ।
 
  
  
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सभ्यता के शिल्प में हैं सरोकारों से सधे हैं,
  
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कोख में कल की पलें हैं डोर से सच की बँधे हैं,
  
मंच का अस्तित्व हम से
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इन्द्रधनु के रंग हैं, हम रंग उड़ती तितलियों के ।
  
हम भले नेपथ्य में हैं,
 
  
माथे की सलवटों सजते
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वर्णमाला में सजे हैं क्षर न होंगे अग्नि-अक्षर,
  
ज़िंदगी के कथ्य में हैं,  
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एक हरियाली लिये हम बोलते हैं मौन जल पर,  
  
 
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है सरोवर आँख में, हम स्वप्न तिरती मछलियों के ।
 
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धूप हैं मन की, हमीं हैं,
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मेघ नीली बिजलियों के ।
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सभ्यता के शिल्प में हैं
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सरोकारों से सधे हैं,
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डोर से सच की बँधे हैं,
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इन्द्रधनु के रंग हैं,
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हम रंग उड़ती तितलियों के ।
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बोलते हैं मौन जल पर,
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है सरोवर आँख में,  
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हम स्वप्न तिरती मछलियों के ।
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11:59, 28 अगस्त 2006 का अवतरण

कवि: यश मालवीय

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* चित्र हमने हैं उकेरे आँधियों में भी दियों के,

हमें अनदेखा करो मत फूल हैं हम हाशियों के ।



करो तो महसूस, भीनी गंध है फैली हमारी,

हैं हमी में छुपे, तुलसी – जायसी, मीरा – बिहारी,

हमें चेहरे छल न सकते धर्म के या जातियों के ।



मंच का अस्तित्व हम से हम भले नेपथ्य में हैं,

माथे की सलवटों सजते ज़िंदगी के कथ्य में हैं,

धूप हैं मन की, हमीं हैं, मेघ नीली बिजलियों के ।



सभ्यता के शिल्प में हैं सरोकारों से सधे हैं,

कोख में कल की पलें हैं डोर से सच की बँधे हैं,

इन्द्रधनु के रंग हैं, हम रंग उड़ती तितलियों के ।


वर्णमाला में सजे हैं क्षर न होंगे अग्नि-अक्षर,

एक हरियाली लिये हम बोलते हैं मौन जल पर,

है सरोवर आँख में, हम स्वप्न तिरती मछलियों के ।