भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
 
<poem>
जो यूं ही लहज़ा -लहज़ा दाग़-ए-हसरत की तरक़्क़ी है अजब क्या, रफ्ता -रफ्ता मैं सरापा सूरत-ए-दिल हूँ
मदद ऐ रहनुमा-ए-गुमरहां इस दश्त-ए-गु़र्बत में
ये मेरे सामने शेख-ओ-बरहमन क्या झगड़ते हैं
अगर मुझ से कोई पूछे, कहूँ दोनों का क़ायल हूँ
 
अगर दावा-ए-यक रंगीं करूं, नाख़ुश न हो जाना
मैं इस आईनाखा़ने में तेरा अक्स-ए-मुक़ाबिल हूँ
</poem>
Mover, Uploader
752
edits