भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जान कर मिन-जुमला-ऐ-खासाना-ऐ-मैखाना मुझे / जिगर मुरादाबादी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जिगर मुरादाबादी }} जान कर मिन-जुमला-ऐ-खासाना-ऐ-मैखाना म...)
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=जिगर मुरादाबादी
 
|रचनाकार=जिगर मुरादाबादी
 
}}  
 
}}  
 +
[[Category=ग़ज़ल ]]
  
जान कर मिन-जुमला-ऐ-खासाना-ऐ-मैखाना मुझे<br>
+
<poem>
मुद्दतों रोया करेंगे जाम-ओ-पैमाना मुझे<br><br>
+
जान कर मिन-जुमला-ऐ-खासाना-ऐ-मैखाना मुझे
 +
मुद्दतों रोया करेंगे जाम-ओ-पैमाना मुझे<br>
  
सब्ज़ा-ओ-गुल, मौज-ए-दर्या, अंजुम-ओ-खुर्शीद-ओ-माह <br>
+
सब्ज़ा-ओ-गुल, मौज-ए-दरिया, अंजुम-ओ-खुर्शीद-ओ-माह
एक ताल्लुक सब से है लेकिन रकीबाना मुझे<br><br>
+
एक ताल्लुक सब से है लेकिन रकीबाना मुझे<br>
  
नंग-ए-मैखाना था साकी ने ये क्या कर दिया<br>
+
नग-ए-मैखाना था साकी ने ये क्या कर दिया
पीने वाले कह उठे 'या पीर-ए-मैखाना' मुझे<br><br>
+
पीने वाले कह उठे 'पीर-ए-मैखाना' मुझे<br>
  
जिंदगी मैं आ गया जब कोई वक्त-ए-इम्तेहान<br>
+
जिंदगी मैं आ गया जब कोई वक्त-ए-इम्तेहान
उसने देखा है जिगर बे-इख्तियाराना मुझे
+
उसने देखा है जिगर बे-इख्तियाराना मुझे<br>
 +
</poem>

02:04, 3 मई 2009 का अवतरण

Category=ग़ज़ल

जान कर मिन-जुमला-ऐ-खासाना-ऐ-मैखाना मुझे
मुद्दतों रोया करेंगे जाम-ओ-पैमाना मुझे


सब्ज़ा-ओ-गुल, मौज-ए-दरिया, अंजुम-ओ-खुर्शीद-ओ-माह
एक ताल्लुक सब से है लेकिन रकीबाना मुझे


नग-ए-मैखाना था साकी ने ये क्या कर दिया
पीने वाले कह उठे 'पीर-ए-मैखाना' मुझे


जिंदगी मैं आ गया जब कोई वक्त-ए-इम्तेहान
उसने देखा है जिगर बे-इख्तियाराना मुझे