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"दास्तान-ए-ग़म-ए-दिल उनको सुनाई न गई / जिगर मुरादाबादी" के अवतरणों में अंतर

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दास्तान-ए-ग़म-ए-दिल उनको सुनाई न गई  
 
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बात बिगड़ी थी कुछ ऐसी कि बनाई न गई  
 
बात बिगड़ी थी कुछ ऐसी कि बनाई न गई  
  
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एक तेरी याद थी ऐसी कि भुलाई न गई  
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क्या उठायेगी सबा ख़ाक मेरी उस दर से  
 
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ये क़यामत तोख़ुद उन से भी उठाई न गई
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ये क़यामत तो ख़ुद उन से भी उठाई न गई
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23:17, 3 मई 2009 के समय का अवतरण


दास्तान-ए-ग़म-ए-दिल उनको सुनाई न गई
बात बिगड़ी थी कुछ ऐसी कि बनाई न गई

सब को हम भूल गए जोश-ए-जुनूँ में लेकिन
इक तेरी याद थी ऐसी कि भुलाई न गई

इश्क़ पर कुछ न चला दीदा-ए-तर का जादू
उसने जो आग लगा दी वो बुझाई न गई

क्या उठायेगी सबा ख़ाक मेरी उस दर से
ये क़यामत तो ख़ुद उन से भी उठाई न गई