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"दिल गया रौनके हयात गई / जिगर मुरादाबादी" के अवतरणों में अंतर
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दिल गया रौनक-ए-हयात गई । | दिल गया रौनक-ए-हयात गई । | ||
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ग़म गया सारी कायनात गई ।। | ग़म गया सारी कायनात गई ।। | ||
दिल धड़कते ही फिर गई वो नज़र, | दिल धड़कते ही फिर गई वो नज़र, | ||
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लब तक आई न थी के बात गई । | लब तक आई न थी के बात गई । | ||
उनके बहलाए भी न बहला दिल, | उनके बहलाए भी न बहला दिल, | ||
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गएगां सइये-इल्तफ़ात गई । | गएगां सइये-इल्तफ़ात गई । | ||
मर्गे आशिक़ तो कुछ नहीं लेकिन, | मर्गे आशिक़ तो कुछ नहीं लेकिन, | ||
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इक मसीहा-नफ़स की बात गई । | इक मसीहा-नफ़स की बात गई । | ||
हाय सरशरायां जवानी की, | हाय सरशरायां जवानी की, | ||
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आँख झपकी ही थी के रात गई । | आँख झपकी ही थी के रात गई । | ||
नहीं मिलता मिज़ाज-ए-दिल हमसे, | नहीं मिलता मिज़ाज-ए-दिल हमसे, | ||
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ग़ालिबन दूर तक ये बात गई । | ग़ालिबन दूर तक ये बात गई । | ||
− | + | क़ैद-ए-हस्ती से कब निजात 'जिगर' | |
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मौत आई अगर हयात गई । | मौत आई अगर हयात गई । | ||
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23:35, 3 मई 2009 के समय का अवतरण
दिल गया रौनक-ए-हयात गई ।
ग़म गया सारी कायनात गई ।।
दिल धड़कते ही फिर गई वो नज़र,
लब तक आई न थी के बात गई ।
उनके बहलाए भी न बहला दिल,
गएगां सइये-इल्तफ़ात गई ।
मर्गे आशिक़ तो कुछ नहीं लेकिन,
इक मसीहा-नफ़स की बात गई ।
हाय सरशरायां जवानी की,
आँख झपकी ही थी के रात गई ।
नहीं मिलता मिज़ाज-ए-दिल हमसे,
ग़ालिबन दूर तक ये बात गई ।
क़ैद-ए-हस्ती से कब निजात 'जिगर'
मौत आई अगर हयात गई ।