"मूल मंत्र / शैल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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:::हमारे देश का प्रजातंत्र | :::हमारे देश का प्रजातंत्र | ||
:::वह तंत्र है | :::वह तंत्र है | ||
− | :::जिसमें | + | :::जिसमें हर बिमारी स्वतंत्र है |
− | :::दवा चलती रहे, | + | :::दवा चलती रहे, बीमार चलता रहे- |
:::यही मूल-मंत्र है। | :::यही मूल-मंत्र है। | ||
− | फलवाले से कहा :" | + | फलवाले से कहा :"ऊपर से देखने में चिकना है |
:::भगवान जाने रस कितना है।" | :::भगवान जाने रस कितना है।" | ||
− | तो बोला: " गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है | + | तो बोला: "गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है |
:::कर्म करो और फल मुझ पर छोड़ दो। | :::कर्म करो और फल मुझ पर छोड़ दो। | ||
− | ::: | + | :::हम दोनों ने अपना-अपना कर्म किया |
− | मैंने दिया और आपने लिया | + | :::मैंने दिया और आपने लिया |
− | अब फल अच्छा निकले या | + | :::अब फल अच्छा निकले या ख़राब |
− | यह तो हरि इच्छा है जनाब।" | + | :::यह तो हरि-इच्छा है जनाब।" |
डॉक्टर से कहा:"आँख है तो ज़िन्दगी है | डॉक्टर से कहा:"आँख है तो ज़िन्दगी है | ||
:::एक गई दूसरी बची है।" | :::एक गई दूसरी बची है।" | ||
− | तो बोला:"लोग बाग बिना बोर्ड पढ़े | + | तो बोला:"लोग-बाग बिना बोर्ड पढ़े |
− | चेम्बर में घुस आते हैं | + | :::चेम्बर में घुस आते हैं |
− | शर्म नहीं आती | + | :::शर्म नहीं आती |
− | नाक वाले डॉक्टर को | + | :::नाक वाले डॉक्टर को |
− | आँख दिखाते हैं।" | + | :::आँख दिखाते हैं।" |
दर्ज़ी से कहा:"कुर्ता पेट पर टाइट सिला है।" | दर्ज़ी से कहा:"कुर्ता पेट पर टाइट सिला है।" | ||
तो बोला:"कपड़ा क्या आपको | तो बोला:"कपड़ा क्या आपको | ||
− | प्रेज़ेंट मिला है | + | :::प्रेज़ेंट में मिला है |
− | पानी में डालते ही आधा रह गया | + | :::पानी में डालते ही आधा रह गया |
− | अब जैसा बना है ले जाइए | + | :::अब जैसा बना है ले जाइए |
− | कुर्ते को पेट के | + | :::कुर्ते को पेट के लायक़ नहीं |
− | पेट को कुर्ते के | + | :::पेट को कुर्ते के लायक़ बनाइए।" |
पान वाले से कहा:"पाँच रुपये का पान | पान वाले से कहा:"पाँच रुपये का पान | ||
:::कहाँ जाएगा हिन्दुस्तान?" | :::कहाँ जाएगा हिन्दुस्तान?" | ||
तो बोला:"खा कर तो देखिए श्रीमान | तो बोला:"खा कर तो देखिए श्रीमान | ||
:::आत्मा खिल जाएगी | :::आत्मा खिल जाएगी | ||
− | :::हमारे | + | :::हमारे पाँन की पीक |
:::शहर के हर कोने में मिल जाएगी।" | :::शहर के हर कोने में मिल जाएगी।" | ||
− | किताब वाले से पूछा:"हरिवंश राय बच्चन का चित्र है?" | + | किताब वाले से पूछा:"प्रेमचन्द का गोदान है?" |
+ | तो बोला: "गोदान! | ||
+ | ::यह नाम तो पहली बार सुना है श्रीमान | ||
+ | ::हम तो साहित्य का सम्मान कर रहे हैं! | ||
+ | ::सत्य कथाएं बेच कर | ||
+ | ::राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण कर रहे हैं। | ||
+ | कैलेंडर वाले से पूछा: "हरिवंश राय बच्चन का चित्र है?" | ||
तो बोला: "आपका टेस्ट भी विचित्र है | तो बोला: "आपका टेस्ट भी विचित्र है | ||
:::वर्तमान को | :::वर्तमान को | ||
− | :::भूतकाल के कन्धे पर टांग रहे | + | :::भूतकाल के कन्धे पर टांग रहे हैं |
− | :::बेटे के ज़माने में बाप का चित्र मांग रहे हैं।" | + | :::बेटे के ज़माने में |
− | लेखक से कहा: " यार कुछ ऐसा लिखो | + | :::बाप का चित्र मांग रहे हैं।" |
− | :::कि | + | लेखक से कहा: "यार कुछ ऐसा लिखो |
− | तो बोला:"जैसा बनता है लिख रहे हैं | + | :::कि भीड़ से अलग दिखो।" |
+ | तो बोला: "जैसा बनता है लिख रहे हैं | ||
:::यही क्या कम है | :::यही क्या कम है | ||
:::कि हमारे जासूसी उपन्यास | :::कि हमारे जासूसी उपन्यास | ||
:::रामायण से ज्यादा बिक रहे हैं।" | :::रामायण से ज्यादा बिक रहे हैं।" | ||
− | दुकानदार से कहा:"यार ठीक से तौलो" | + | दुकानदार से कहा: "यार ठीक से तौलो" |
− | तो बोला:"तौलने के बारे में कुछ मत बोलो | + | तो बोला: "तौलने के बारे में कुछ मत बोलो |
− | ज़िन्दगी | + | :::ज़िन्दगी भर यही किया है |
− | ग्राहक को तौल से ज्यादा दिया है | + | :::ग्राहक को तौल से ज्यादा दिया है |
− | आप पहले | + | :::आप पहले हैं जो बोल रहे हैं |
− | वर्ना कोई नहीं देखता | + | :::वर्ना कोई नहीं देखता |
− | कि हम क्या तौल रहे | + | :::कि हम क्या तौल रहे हैं।" |
नौकरानी से कहा:"एक तो बर्तन चुराती हो | नौकरानी से कहा:"एक तो बर्तन चुराती हो | ||
:::उपर से आँख दिखाती हो।" | :::उपर से आँख दिखाती हो।" | ||
तो बोली:दिखा तो आप रहे हैं | तो बोली:दिखा तो आप रहे हैं | ||
− | बर्तन मलवाओ,न मलवाओ | + | :::बर्तन मलवाओ, न मलवाओ |
− | चोरी का इल्ज़ाम मत लगाओ | + | :::चोरी का इल्ज़ाम मत लगाओ |
− | हमें पता है | + | :::हमें पता है |
− | कि आप कितने बड़े है | + | :::कि आप कितने बड़े है |
− | आधे बर्तनो पर तो | + | :::आधे बर्तनो पर तो |
− | + | :::पड़ौसियों के नाम पड़े है।" | |
बेटे से कहा:"बाल मत बढ़ाओ" | बेटे से कहा:"बाल मत बढ़ाओ" | ||
− | तो बोला:"पापाजी आदर्श का पाठ मत | + | तो बोला:"पापाजी, आदर्श का पाठ मत पढ़ाओ |
− | हम ज़माने के साथ चल रहे | + | :::हम ज़माने के साथ चल रहे हैं |
− | आपके बाल नहीं है न | + | :::आपके बाल नहीं है न |
− | इसलिए आप जल रहें हैं।" | + | :::इसलिए आप जल रहें हैं।" |
− | बीबी से कहा:"पति हूँ,चपरासी नहीं।" | + | बीबी से कहा:"पति हूँ, चपरासी नहीं।" |
तो बोली:"पत्नी हूँ, दासी नहीं | तो बोली:"पत्नी हूँ, दासी नहीं | ||
:::बाहर की भगवान जाने | :::बाहर की भगवान जाने | ||
:::घर में मेरी चलेगी | :::घर में मेरी चलेगी | ||
− | ::: | + | :::चिराग़ लेकर ढूंढने से भी |
:::ऐसी बीबी नहीं मिलेगी।" | :::ऐसी बीबी नहीं मिलेगी।" | ||
बेटी से कहा:"इतनी रात को कहाँ जा रहीं हो?" | बेटी से कहा:"इतनी रात को कहाँ जा रहीं हो?" | ||
पंक्ति 80: | पंक्ति 87: | ||
:::आपसे तो दामाद फँसा नहीं | :::आपसे तो दामाद फँसा नहीं | ||
:::मुझे ही फँसाने दो।" | :::मुझे ही फँसाने दो।" | ||
+ | पड़ौसी से कहा:"आपका बेटा लड़कियों को छेड़ता है।" | ||
+ | तो बोला:"बेटे का नहीं उम्र का दोष है | ||
+ | :::जैसा भी है अच्छा है | ||
+ | :::किसी ऐसे वैसे का नहीं | ||
+ | :::हमारा बच्चा है।" | ||
+ | लड़के वाले से कहा:"बेटी पढ़ी-लिखी और सुन्दर है।" | ||
+ | तो बोला:"हमारा बेटा कौन-सा बन्दर है | ||
+ | :::रंग थोड़ा पक्का है | ||
+ | :::फिर पढाई में क्या रक्खा है | ||
+ | :::अच्छे-अच्छे लोग | ||
+ | :::डिगरियाँ लटकाए घूम रहे हैं | ||
+ | :::भाई साहब! | ||
+ | :::अपुन तो ऐसी लड़की ढूंढ रहे हैं | ||
+ | :::जिसके बाप के पास पैसा हो | ||
+ | :::चेहरे का क्या है | ||
+ | :::चाहे जैसा हो।" | ||
+ | प्रोफ़ेसर से कहा:"जब देखो | ||
+ | :::कॉफी हाउस में नज़र आते हो | ||
+ | :::बच्चों को कब पढ़ाते हो?" | ||
+ | तो बोला:"साल में दो महीने इतवार के | ||
+ | :::तीन स्ट्राइक के | ||
+ | :::चार त्योहार के | ||
+ | :::बच्चे अपने आप पास हो जाते हैं | ||
+ | :::नकल मार के।" | ||
+ | सिपाही से कहा:"कानून को भी मानते हो | ||
+ | :::या केवल डंडा घुमाना जानते हो?" | ||
+ | तो बोला:"कानून की भाषा पढ़े-लिखे बोलते हैं | ||
+ | :::हम तो हर कानून को | ||
+ | :::डंडे से तोलते हैं | ||
+ | :::डंडा हाथ में है तो गुंड़ा साथ में है।" | ||
+ | नेता से कहा:"वोट लिया है | ||
+ | :::बदले में क्या दिया है?" | ||
+ | तो बोला:"हम नेता हैं | ||
+ | :::आगे रहते है | ||
+ | :::पीछे क्या हो रहा है | ||
+ | :::कैसे देख सकते हैं | ||
+ | :::हमने माना कि देश का हाल बुरा है | ||
+ | :::मगर हमारे बापू ने हमें सिखाया है | ||
+ | :::बुरा मत देखो | ||
+ | :::बुरा मत सुनो | ||
+ | :::बुरा मत बोलो।" |
09:03, 4 मई 2009 के समय का अवतरण
हमारे देश का प्रजातंत्र
वह तंत्र है
जिसमें हर बिमारी स्वतंत्र है
दवा चलती रहे, बीमार चलता रहे-
यही मूल-मंत्र है।
फलवाले से कहा :"ऊपर से देखने में चिकना है
भगवान जाने रस कितना है।"
तो बोला: "गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है
कर्म करो और फल मुझ पर छोड़ दो।
हम दोनों ने अपना-अपना कर्म किया
मैंने दिया और आपने लिया
अब फल अच्छा निकले या ख़राब
यह तो हरि-इच्छा है जनाब।"
डॉक्टर से कहा:"आँख है तो ज़िन्दगी है
एक गई दूसरी बची है।"
तो बोला:"लोग-बाग बिना बोर्ड पढ़े
चेम्बर में घुस आते हैं
शर्म नहीं आती
नाक वाले डॉक्टर को
आँख दिखाते हैं।"
दर्ज़ी से कहा:"कुर्ता पेट पर टाइट सिला है।"
तो बोला:"कपड़ा क्या आपको
प्रेज़ेंट में मिला है
पानी में डालते ही आधा रह गया
अब जैसा बना है ले जाइए
कुर्ते को पेट के लायक़ नहीं
पेट को कुर्ते के लायक़ बनाइए।"
पान वाले से कहा:"पाँच रुपये का पान
कहाँ जाएगा हिन्दुस्तान?"
तो बोला:"खा कर तो देखिए श्रीमान
आत्मा खिल जाएगी
हमारे पाँन की पीक
शहर के हर कोने में मिल जाएगी।"
किताब वाले से पूछा:"प्रेमचन्द का गोदान है?"
तो बोला: "गोदान!
यह नाम तो पहली बार सुना है श्रीमान
हम तो साहित्य का सम्मान कर रहे हैं!
सत्य कथाएं बेच कर
राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण कर रहे हैं।
कैलेंडर वाले से पूछा: "हरिवंश राय बच्चन का चित्र है?"
तो बोला: "आपका टेस्ट भी विचित्र है
वर्तमान को
भूतकाल के कन्धे पर टांग रहे हैं
बेटे के ज़माने में
बाप का चित्र मांग रहे हैं।"
लेखक से कहा: "यार कुछ ऐसा लिखो
कि भीड़ से अलग दिखो।"
तो बोला: "जैसा बनता है लिख रहे हैं
यही क्या कम है
कि हमारे जासूसी उपन्यास
रामायण से ज्यादा बिक रहे हैं।"
दुकानदार से कहा: "यार ठीक से तौलो"
तो बोला: "तौलने के बारे में कुछ मत बोलो
ज़िन्दगी भर यही किया है
ग्राहक को तौल से ज्यादा दिया है
आप पहले हैं जो बोल रहे हैं
वर्ना कोई नहीं देखता
कि हम क्या तौल रहे हैं।"
नौकरानी से कहा:"एक तो बर्तन चुराती हो
उपर से आँख दिखाती हो।"
तो बोली:दिखा तो आप रहे हैं
बर्तन मलवाओ, न मलवाओ
चोरी का इल्ज़ाम मत लगाओ
हमें पता है
कि आप कितने बड़े है
आधे बर्तनो पर तो
पड़ौसियों के नाम पड़े है।"
बेटे से कहा:"बाल मत बढ़ाओ"
तो बोला:"पापाजी, आदर्श का पाठ मत पढ़ाओ
हम ज़माने के साथ चल रहे हैं
आपके बाल नहीं है न
इसलिए आप जल रहें हैं।"
बीबी से कहा:"पति हूँ, चपरासी नहीं।"
तो बोली:"पत्नी हूँ, दासी नहीं
बाहर की भगवान जाने
घर में मेरी चलेगी
चिराग़ लेकर ढूंढने से भी
ऐसी बीबी नहीं मिलेगी।"
बेटी से कहा:"इतनी रात को कहाँ जा रहीं हो?"
तो बोली:"टोको मत जाने दो
आपसे तो दामाद फँसा नहीं
मुझे ही फँसाने दो।"
पड़ौसी से कहा:"आपका बेटा लड़कियों को छेड़ता है।"
तो बोला:"बेटे का नहीं उम्र का दोष है
जैसा भी है अच्छा है
किसी ऐसे वैसे का नहीं
हमारा बच्चा है।"
लड़के वाले से कहा:"बेटी पढ़ी-लिखी और सुन्दर है।"
तो बोला:"हमारा बेटा कौन-सा बन्दर है
रंग थोड़ा पक्का है
फिर पढाई में क्या रक्खा है
अच्छे-अच्छे लोग
डिगरियाँ लटकाए घूम रहे हैं
भाई साहब!
अपुन तो ऐसी लड़की ढूंढ रहे हैं
जिसके बाप के पास पैसा हो
चेहरे का क्या है
चाहे जैसा हो।"
प्रोफ़ेसर से कहा:"जब देखो
कॉफी हाउस में नज़र आते हो
बच्चों को कब पढ़ाते हो?"
तो बोला:"साल में दो महीने इतवार के
तीन स्ट्राइक के
चार त्योहार के
बच्चे अपने आप पास हो जाते हैं
नकल मार के।"
सिपाही से कहा:"कानून को भी मानते हो
या केवल डंडा घुमाना जानते हो?"
तो बोला:"कानून की भाषा पढ़े-लिखे बोलते हैं
हम तो हर कानून को
डंडे से तोलते हैं
डंडा हाथ में है तो गुंड़ा साथ में है।"
नेता से कहा:"वोट लिया है
बदले में क्या दिया है?"
तो बोला:"हम नेता हैं
आगे रहते है
पीछे क्या हो रहा है
कैसे देख सकते हैं
हमने माना कि देश का हाल बुरा है
मगर हमारे बापू ने हमें सिखाया है
बुरा मत देखो
बुरा मत सुनो
बुरा मत बोलो।"