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होती है तेरे नाम से वहशत कभी कभी<br>
बरहम हुई है यूँ भी तबीयत कभी कभी<br><br>
[वहशत = चिन्ता; बरहम = बैचेन]
ऐ दिल किसे नसीब ये तौफ़ीक़-ए-इज़्तिराब<br>
जोश-ए-जुनूँ में दर्द की तुग़यानियों के साथ<br>
अश्कों में ढल गई तेरी सूरत कभी कभी<br><br>
[तुग़यानी = तूफ़ान]
तेरे क़रीब रह के भी दिल मुतमईन न था<br>
गुज़री है मुझ पे भी ये क़यामत कभी कभी<br><br>
[मुतमईन = संतुष्ठ]
कुछ अपना होश था न तुम्हारा ख़यल था<br>
यूँ भी गुज़र गई शब-ए-फ़ुर्क़त कभी कभी<br><br>
[शब-ए-फ़ुर्क़त = जुदाई की रात]
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मुहब्बत के बावजूद<br>
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी<br><br>
[तर्क-ए-मुहब्बत = प्यार का तर्क]