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"आप आए तो ख़्याल-ए-दिल-ए-नाशाद आया / साहिर लुधियानवी" के अवतरणों में अंतर
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आज वह बात नहीं फिर भी कोई बात तो है | आज वह बात नहीं फिर भी कोई बात तो है | ||
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ग़ैर का हो के भी यह हुस्न मेरे साथ तो है | ग़ैर का हो के भी यह हुस्न मेरे साथ तो है | ||
हाय ! किस वक़्त मुझे कब का गिला याद आया | हाय ! किस वक़्त मुझे कब का गिला याद आया |
21:16, 9 मई 2009 के समय का अवतरण
आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए नाशाद आया
कितने भूले हुए ज़ख़्मों का पता याद आया
आप के लब पे कभी अपना भी नाम आया था
शोख नज़रों से मुहब्बत का सलाम आया था
उम्र भर साथ निभाने का पयाम आया था
आपको देख के वह अहद-ए-वफ़ा याद आया
रुह में जल उठे बजती हुई यादों के दिए
कैसे दीवाने थे हम आपको पाने के लिए
यूँ तो कुछ कम नहीं जो आपने एहसान किए
पर जो माँगे से न पाया वो सिला याद आया
आज वह बात नहीं फिर भी कोई बात तो है
मेरे हिस्से में यह हल्की-सी मुलाक़ात तो है
ग़ैर का हो के भी यह हुस्न मेरे साथ तो है
हाय ! किस वक़्त मुझे कब का गिला याद आया