"इक लफ़्ज़े-मोहब्बत का / जिगर मुरादाबादी" के अवतरणों में अंतर
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− | इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना सा फ़साना है | + | इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना-सा फ़साना है |
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है <br> | सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है <br> | ||
− | ये | + | ये किसका तसव्वुर है ये किसका फ़साना है |
जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना है <br> | जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना है <br> | ||
हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़साना है | हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़साना है | ||
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क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है | क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है | ||
हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है <br> | हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है <br> | ||
− | वो हुस्न-ओ-जमाल | + | वो हुस्न-ओ-जमाल उनका ये इश्क़-ओ-शबाब अपना |
जीने की तमन्ना है मरने का ज़माना है <br> | जीने की तमन्ना है मरने का ज़माना है <br> | ||
− | या वो थे ख़फ़ा | + | या वो थे ख़फ़ा हमसे या हम थे ख़फ़ा उनसे |
− | कल | + | कल उनका ज़माना था आज अपना ज़माना है <br> |
अश्कों के तबस्सुम में आहों के तरन्नुम में | अश्कों के तबस्सुम में आहों के तरन्नुम में | ||
मासूम मोहब्बत का मासूम फ़साना है <br> | मासूम मोहब्बत का मासूम फ़साना है <br> | ||
− | आँखों में नमी सी है चुप-चुप से वो बैठे हैं | + | आँखों में नमी-सी है चुप-चुप-से वो बैठे हैं |
− | नाज़ुक सी निगाहों में नाज़ुक सा फ़साना है <br> | + | नाज़ुक-सी निगाहों में नाज़ुक-सा फ़साना है <br> |
है इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा हाँ इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा | है इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा हाँ इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा | ||
आज एक सितमगर को हँस-हँस के रुलाना है <br> | आज एक सितमगर को हँस-हँस के रुलाना है <br> | ||
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एक आग का दरिया है और डूब के जाना है <br> | एक आग का दरिया है और डूब के जाना है <br> | ||
आँसू तो बहोत से हैं आँखों में 'जिगर' लेकिन | आँसू तो बहोत से हैं आँखों में 'जिगर' लेकिन | ||
− | + | बिँध् जाये सो मोती है रह जाये सो दाना है <br> | |
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09:18, 10 मई 2009 का अवतरण
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना-सा फ़साना है
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
ये किसका तसव्वुर है ये किसका फ़साना है
जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना है
हम इश्क़ के मारों का इतना ही फ़साना है
रोने को नहीं कोई हँसने को ज़माना है
वो और वफ़ा-दुश्मन मानेंगे न माना है
सब दिल की शरारत है आँखों का बहाना है
क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना है
हम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है
वो हुस्न-ओ-जमाल उनका ये इश्क़-ओ-शबाब अपना
जीने की तमन्ना है मरने का ज़माना है
या वो थे ख़फ़ा हमसे या हम थे ख़फ़ा उनसे
कल उनका ज़माना था आज अपना ज़माना है
अश्कों के तबस्सुम में आहों के तरन्नुम में
मासूम मोहब्बत का मासूम फ़साना है
आँखों में नमी-सी है चुप-चुप-से वो बैठे हैं
नाज़ुक-सी निगाहों में नाज़ुक-सा फ़साना है
है इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा हाँ इश्क़-ए-जुनूँ-पेशा
आज एक सितमगर को हँस-हँस के रुलाना है
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना तो समझ लीजे
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है
आँसू तो बहोत से हैं आँखों में 'जिगर' लेकिन
बिँध् जाये सो मोती है रह जाये सो दाना है