भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"साक़ी पर इल्ज़ाम न आये / जिगर मुरादाबादी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जिगर मुरादाबादी }}<poem> Category:ग़ज़ल साक़ी पर इल्ज़ा...) |
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
इश्क़ का सौदा इतना गराँ है | इश्क़ का सौदा इतना गराँ है | ||
− | + | इन्हें हम से काम न आये | |
− | + | मयख़ाने में सब ही तो आये | |
लेकिन "ज़िगर" का नाम न आये | लेकिन "ज़िगर" का नाम न आये |
11:22, 12 मई 2009 के समय का अवतरण
साक़ी पर इल्ज़ाम न आये
चाहे तुझ तक जाम न आये
तेरे सिवा जो की हो मुहब्बत
मेरी जवानी काम न आये
जिन के लिये मर भी गये हम
वो चल कर दो गाम न आये
इश्क़ का सौदा इतना गराँ है
इन्हें हम से काम न आये
मयख़ाने में सब ही तो आये
लेकिन "ज़िगर" का नाम न आये