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"साक़ी पर इल्ज़ाम न आये / जिगर मुरादाबादी" के अवतरणों में अंतर

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लेकिन "ज़िगर" का नाम न आये
 
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11:22, 12 मई 2009 के समय का अवतरण


साक़ी पर इल्ज़ाम न आये
चाहे तुझ तक जाम न आये

तेरे सिवा जो की हो मुहब्बत
मेरी जवानी काम न आये

जिन के लिये मर भी गये हम
वो चल कर दो गाम न आये

इश्क़ का सौदा इतना गराँ है
इन्हें हम से काम न आये

मयख़ाने में सब ही तो आये
लेकिन "ज़िगर" का नाम न आये