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"कीजे न दस में बैठ कर / ज़फ़र" के अवतरणों में अंतर
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कब तक रहें ख़मोश के ज़ाहिर से आप की <br> | कब तक रहें ख़मोश के ज़ाहिर से आप की <br> | ||
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मुद्दत के बाद हज़रत-ए-नासेह करम किया <br> | मुद्दत के बाद हज़रत-ए-नासेह करम किया <br> | ||
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पर तर्क-ए-इश्क़ के लिये इज़हार कुछ न हो <br> | पर तर्क-ए-इश्क़ के लिये इज़हार कुछ न हो <br> | ||
− | मैं क्या करूँ नहीं ये मेरे बस की | + | मैं क्या करूँ नहीं ये मेरे बस की बातचीत <br><br> |
− | क्या | + | क्या याद आ गया है "ज़फ़र" पंजा-ए-निगार <br> |
− | कुछ हो रही है बन्द-ओ-मुख़म्मस की | + | कुछ हो रही है बन्द-ओ-मुख़म्मस की बातचीत |
18:52, 12 मई 2009 का अवतरण
कीजे न दस में बैठ कर आपस की बातचीत
पहुँचेगी दस हज़ार जगह दस की बातचीत
कब तक रहें ख़मोश के ज़ाहिर से आप की
हम ने बहुत सुनी कस-ओ-नाकस की बातचीत
मुद्दत के बाद हज़रत-ए-नासेह करम किया
फ़र्माइये मिज़ाज-ए-मुक़द्दस की बातचीत
पर तर्क-ए-इश्क़ के लिये इज़हार कुछ न हो
मैं क्या करूँ नहीं ये मेरे बस की बातचीत
क्या याद आ गया है "ज़फ़र" पंजा-ए-निगार
कुछ हो रही है बन्द-ओ-मुख़म्मस की बातचीत