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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=तेजेन्द्र शर्मा]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:तेजेन्द्र शर्मा]]<poem>इस देश केनौजवानों नेकर दिया है यह ऐलान देश के लिए लड़नेऔर जान देने मेंनहीं है कोई शान
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~विश्वास के काबिल नहीं है इस देश का नेतृत्वदेता है धोखा, करता है गुमराहहिलाता है दुम उसके आगेजो है इसका आका इराक़ के युध्द से हमने ये सीखा
इस देश के<br>यह मानकर नौजवानों ने<br>हर जुम्मे की शामकर दिया है यह ऐलान <br>यहां का नौजवानदेश के साथ लिए लड़ने<br>इक शबाबऔर जान देने जाता है पब में<br>नहीं है कोई शान<br><br>पीने को शराब
विश्वास के काबिल नहीं भूल जाता है <br>वो जवानकि इस देश का नेतृत्व<br>देता की भी रही है धोखा, करता है गुमराह <br>हिलाता है दुम उसके आगे<br>इक परंपरा इक शानजो है इसका आका <br>अपने तो अपने परायों ने भीइराक़ इस मुल्क के युध्द से हमने ये सीखा <br><br>लियेलडाई है जान
यह मानकर <br>यही देश था जवाब नैपोलियन और हिटलर काहर जुम्मे गांधी की शाम<br>अहिंसा को समझा था यही देशयहां का नौजवान<br>साम्राज्यवादी, पूंजीवादी और क्या क्या कहलाता हैसाथ लिए इक शबाब<br>फिर भी हर सालजाता है पब में<br>लाखों शरणार्थी पीने को शराब<br><br>अपने यहां लाता है
भूल जाता है वो जवान <br>ग़ुलाम था पूरा विश्व जिसकाकि इस देश जहां से शुरू हुई वर्तमान समाज की भी रही है<br>सोचइक परंपरा इक शान<br>आम आदमी के हक की लडाईअपने तो अपने परायों ने भी <br>विज्ञान की हर खोज, बीमार शरीर का इलाजइस मुल्क के लिये<br>रेलगाड़ी क़ी सवारीलडाई है जान <br><br>हवाई यात्रा की तैयारी
यही देश था जवाब नैपोलियन और हिटलर का<br>गांधी की अहिंसा को समझा था यही देश<br>साम्राज्यवादी, पूंजीवादी और क्या क्या कहलाता है<br>फिर भी हर साल <br>लाखों शरणार्थी <br>अपने यहां लाता है<br><br> ग़ुलाम था पूरा विश्व जिसका<br>जहां से शुरू हुई वर्तमान समाज की सोच<br>आम आदमी के हक की लडाई<br>विज्ञान की हर खोज, बीमार शरीर का इलाज<br>रेलगाड़ी क़ी सवारी<br>हवाई यात्रा की तैयारी<br><br> एक शिकायत है मुझे अपने आप से <br>इस देश में अपनीर मर्ज़ी से आया, कमाया, खाया<br>यहां से भेजा धन अपनी मां, बहन हर रिश्ते को<br>यहां का नागरिक कहलाया<br>फिर भी न जाने क्यों<br>इसे कभी अपना देश नहीं कह पाया<br><br/poem>
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