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मत पूछ के क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख के क्या रन्ग रंग है तेरा मेरे आगे
सच कहते हो ख़ुदबीन-ओ-ख़ुदआरा<ref>गर्वित और आत्म-अलंकृत</ref> हूँ, न क्योँ हूँ
नफ़रत का गुमाँ गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा
क्यों कर कहूँ लो नाम न उस का उसका मेरे आगे
ईमाँ मुझे रोके है तो खींचे है मुझे कुफ़्र