भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"एक बात / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री }} <poem> एक बात ======= इस पे भूले हो कि ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:08, 23 मई 2009 का अवतरण
एक बात
=======
इस पे भूले हो कि हर दिल को कुचल डाला है
इस पे फूले हो कि हर गुल को मसल डाला है
और हर गोशःए-गुलज़ार१ में सन्नाटा है
किसी सीने में मगर एक फ़ुग़ाँ२ तो होगी
आज वह कुछ न सही कल को जवाँ तो होगी
वह जवाँ होके अगर शोलः-ए-जव्वाला बनी
वह जवाँ होके अगर आतिशे-सद-साला३ बनी
ख़ुद ही सोचो कि सितमगारों पे क्या गुज़रेगी
१.उपवन का कोना २.आर्तनाद ३.सौ वर्ष वाली अग्नि।