भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कुछ शे’र / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: दो शे’र ===== यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को ये तमाम रंगो-नक्हत...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:33, 23 मई 2009 का अवतरण
दो शे’र
=
यह है आरज़ू चमन की, कोई लूट ले चमन को
ये तमाम रंगो-नक्हत तिरे इख़्तियार में है
#####
तिरे हाथ की बलन्दी में फ़रोगे़-कहकशाँ है
ये हुजूमे-माहो-अंजुम१ तिरे इन्तिज़ार में है
१.चाँद और तारों का जमघट