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दो शे’र१

ये कौन आया शबे-वस्ल का जमाल लिए
तमाम उम्रे-गुज़श्ता<ref>बीती हुई उम्र</ref> के माहो-साल लिए

हज़ार रंगे-खिज़ाँ का बदन पे पैराहन
ज़वाले-हुस्न<ref>सौन्दर्य का ह्रास</ref> में भी हुस्ने-लाज़वाल लिए

शब्दार्थ
<references/>