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"एक शे’र5 / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

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एक शे’र


खु़दा हसीनो-जमील है और तुम्हारी आँखों में जलवागर है
वह मौजे-रंगे-बहार, तुम जिस से गुलफ़िशाँ<ref>पुष्पित-पल्लवित</ref>हो मिरी ऩज़र है

शब्दार्थ
<references/>