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"सफ़-ए-अव्वाल से फ़क्त एक ही मयक्वार उठा / आनंद नारायण मुल्ला" के अवतरणों में अंतर
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01:10, 28 मई 2009 का अवतरण
सफ़-ए-अव्वाल से फ़क्त एक ही मयक्वार उठा ।
कितनी सुनासान है तेरी महफ़िल साकी ।।
ख़त्म हो जाए न कहीं शुशबू भी फूलों के साथ,
यही खुशबू तो है इस बज़्म का हासिल साखी ।