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"एकै सँग हाल नँदलाल औ गुलाल दोऊ / पद्माकर" के अवतरणों में अंतर

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'''पद्माकर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मलहोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
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'''पद्माकर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
 
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10:44, 3 जून 2009 के समय का अवतरण

एकै सँग हाल नँदलाल औ गुलाल दोऊ,
दृगन गये ते भरी आनँद मढै नहीँ ।
धोय धोय हारी पदमाकर तिहारी सौँह,
अब तो उपाय एकौ चित्त मे चढै नहीँ ।
कैसी करूँ कहाँ जाऊँ कासे कहौँ कौन सुनै,
कोऊ तो निकारो जासोँ दरद बढै नहीँ ।
एरी! मेरी बीर जैसे तैसे इन आँखिन सोँ,
कढिगो अबीर पै अहीर को कढै नहीँ ।


पद्माकर का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल महरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।