भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सोती हुई बिटिया को देखकर / अशोक कुमार पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: अभी-अभी हुलसकर सोई हैं इन साँसों में स्वरलहरियां अभी-अभी इन होठ...)
(कोई अंतर नहीं)

23:21, 5 जून 2009 का अवतरण

अभी-अभी हुलसकर सोई हैं इन साँसों में स्वरलहरियां

अभी-अभी इन होठों में खिली है एक ताज़ा कविता


अभी-अभी उगा है इन आंखों में नीला चाँद

अभी-अभी मिला है मेरी उम्मीदों को एक मज़बूत दरख़्त अभी-अभी हुलसकर सोई हैं इन साँसों में स्वरलहरियां

अभी-अभी इन होठों में खिली है एक ताज़ा कविता


अभी-अभी उगा है इन आंखों में नीला चाँद

अभी-अभी मिला है मेरी उम्मीदों को एक मज़बूत दरख़्त