भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"माँ! / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता वाचक्नवी }} <poem> '''माँ''' वे मधुवांछी अभिलाषी ...)
(कोई अंतर नहीं)

23:30, 5 जून 2009 का अवतरण

माँ


वे मधुवांछी
अभिलाषी जन
रोप गए
ईखों की पौधें,
पूरा घिरा
प्राणतल मेरा।


अभ्यासों से
पुनर्जन्म पा-पा
मिट जातीं
ईखों की अजस्र
मृदुधारा को
लपटें
निःशेष करातीं।