भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चिड़िया से कहा लड़की ने / रवीन्द्र दास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
<poem> | <poem> | ||
चिड़िया से कहा लड़की ने | चिड़िया से कहा लड़की ने | ||
− | |||
पंख दोगी मुझे ! | पंख दोगी मुझे ! | ||
− | |||
उड़ना चाहती हूँ मैं भी | उड़ना चाहती हूँ मैं भी | ||
− | |||
खुले आकाश में | खुले आकाश में | ||
− | |||
चिड़िया ने कहा | चिड़िया ने कहा | ||
− | |||
क्यों नहीं , ये लो मेरे पंख | क्यों नहीं , ये लो मेरे पंख | ||
− | |||
घूम आओ अनंत आकाश में | घूम आओ अनंत आकाश में | ||
− | |||
सकपका गयी लड़की | सकपका गयी लड़की | ||
− | |||
बोली- नहीं, नहीं , | बोली- नहीं, नहीं , | ||
− | |||
अभी नहीं ले सकती मैं पंख , | अभी नहीं ले सकती मैं पंख , | ||
− | |||
मम्मी डाटेंगी | मम्मी डाटेंगी | ||
− | |||
मैं ठीक हूँ ऐसे ही | मैं ठीक हूँ ऐसे ही | ||
− | |||
फिर भी प्रार्थना करुँगी भगवान् से | फिर भी प्रार्थना करुँगी भगवान् से | ||
− | |||
अगले जन्म में | अगले जन्म में | ||
− | + | पंखों वाली चिड़िया बना दे मुझे! | |
− | पंखों वाली चिड़िया बना दे मुझे!</poem> | + | </poem> |
23:27, 6 जून 2009 के समय का अवतरण
चिड़िया से कहा लड़की ने
पंख दोगी मुझे !
उड़ना चाहती हूँ मैं भी
खुले आकाश में
चिड़िया ने कहा
क्यों नहीं , ये लो मेरे पंख
घूम आओ अनंत आकाश में
सकपका गयी लड़की
बोली- नहीं, नहीं ,
अभी नहीं ले सकती मैं पंख ,
मम्मी डाटेंगी
मैं ठीक हूँ ऐसे ही
फिर भी प्रार्थना करुँगी भगवान् से
अगले जन्म में
पंखों वाली चिड़िया बना दे मुझे!