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"ये भी क्या शाम-ए-मुलाक़ात आई / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर

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हाय क्या होगा अगर रात आई|
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लब पे मुश्किल से तेरी बात आई  
  
बस्तियाँ छोड़ के बरसे बादल,
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सुबह से चुप हैं तेरे हिज्र नसीब
किस क़यामत की ये बरसात आई|
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हाय क्या होगा अगर रात आई  
  
कोई जब मिल के हुआ था रुख़सत,
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बस्तियाँ छोड़ के बरसे बादल
दिल-ए-बेताब वही रात आई|
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साया-ए-ज़ुल्फ़-ए-बुताँ में 'नसिर',
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कोई जब मिल के हुआ था रुख़सत
एक से एक नई रात आई|
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दिल-ए-बेताब वही रात आई
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एक से एक नई रात आई
 
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16:49, 7 जून 2009 का अवतरण


ये भी क्या शाम-ए-मुलाक़ात आई
लब पे मुश्किल से तेरी बात आई

सुबह से चुप हैं तेरे हिज्र नसीब
हाय क्या होगा अगर रात आई

बस्तियाँ छोड़ के बरसे बादल
किस क़यामत की ये बरसात आई

कोई जब मिल के हुआ था रुख़सत
दिल-ए-बेताब वही रात आई

साया-ए-ज़ुल्फ़-ए-बुताँ में 'नासिर'
एक से एक नई रात आई