भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नैनम्‌ दहति पावक / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता वाचक्नवी }} <poem> '''नैनम्‌ दहति पावकः''' चकमक प...)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:45, 21 जून 2009 के समय का अवतरण

नैनम्‌ दहति पावकः


चकमक पाषाण!
अँधेरी रात के उजला माँगने पर
तुम्हारी चिंगारियों से फूटा प्रकाश
मेरे घर कि आग
नहीं हुआ वह,
न मेरा घर था वहाँ
न तुम्हारी आग को बँधना स्वीकार
सार्वजनीन है - आग तुम्हारी
कुछ आते-जातों के लिए।

बचा कर रखना
थोडी़ आग
कि आग देने मुझे
कोई नहीं आएगा जब
तब दे सको
एक चिंगारी - भर
मेरी पिपासा के पुनरागमन के लिए।