भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चींटी किसकी / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कविता वाचक्नवी }} <poem> '''चींटी किसकी?''' आँगन में पूछ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:40, 21 जून 2009 का अवतरण
चींटी किसकी?
आँगन में
पूछा चिल्ला कर
‘माँ! चींटी राम की है या रावण की?’
गिरे फंदे उठाती
दादी ने
कह दिया - ‘राम की।’
गर्मी में भागती चींटियों को
इतना पानी पिलाया मैंने
वे डूब गई।
अकस्मात एक दिन
‘रावण की’ कहा माँ ने
और पैर पटक-पटक
मार दिया मैंने उन्हें।
हे राम! तुम्हारे नाम
कितनी चींटियाँ मारीं हमने
और रावण!
तुम्हारे नाम जाने कितनी!
बेकसूर थीं सारी
राम और रावण से जोड़
कभी प्यार से
कभी घृणा से
मारी गईं।
फंदे उठाने वालो!
सोचो तो!!