भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"फिर इस दिल के मचलने की कहानी याद आती है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: फिर इस दिल के मचलने की कहानी याद आती है मुझे फिर आज अपनी नौजवानी य...)
(कोई अंतर नहीं)

06:29, 22 जून 2009 का अवतरण

फिर इस दिल के मचलने की कहानी याद आती है

मुझे फिर आज अपनी नौजवानी याद आती है


बहुत कुछ कहके भी उनसे न कह पाया था प्यार अपना

तपिश सीने की बस आँखों में लानी याद आती है


'कहा क्या! कल कहूंगा क्या! न यह कहता तो क्या कहता!'

यही सब सोचते रातें बितानी याद आती है


शरारत की हँसी आँखों में दाबे, नासमझ बनती

मेरी चुप्पी पे उनकी छेड़खानी याद आती है


भुला पाता नहीं मैं पोंछना काजल पलक पर से

लटें आवारा उस रुख से हटानी, याद आती है


कभी गाने को कहते ही, लजा कर सर झुका लेना

गुलाब! अब भी किसीकी आनाकानी याद आती है