भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दुर्दिनों में कविता-4 / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदय प्रकाश |संग्रह= रात में हारमोनियम / उदय प्रकाश }} कट...)
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=उदय प्रकाश
 
|रचनाकार=उदय प्रकाश
|संग्रह= रात में हारमोनियम / उदय प्रकाश
+
|संग्रह=रात में हारमोनिययम / उदय प्रकाश
 
}}
 
}}
  

19:48, 23 जून 2009 का अवतरण

कटघरे में चीख़ता है बंदी

’योर आनर,

मुझे नहीं मैकाले को भेजना चाहिए

कालापानी’


’योर आनर,

इतिहास में और भविष्य में फाँसी का हुक्म

जनरल डायर के लिए हो’


’मुज़रिम मैं नहीं

हिज हाईनेस,

मुज़रिम नाथूराम है’


नेपथ्य में से निकलते हैं कर्मचारी

सिर पर डालकर काला कनटोप

उसे ले जाते हैं नेपथ्य की ओर


न्यायाधीश तोड़ता है क़लम

न्यायविद लेते हैं जमुहाइयाँ


दुर्दिनों में ऎसे ही हुआ करता है न्याय