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"यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया / ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'" के अवतरणों में अंतर
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मुझ को इस इश्क़ के बीमार ने सोने न दिया<br> | मुझ को इस इश्क़ के बीमार ने सोने न दिया<br> |
01:31, 24 जून 2009 के समय का अवतरण
यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया
रात भर तालि'-ए-बेदार ने सोने न दिया
एक शब बुलबुल-ए-बेताब के जागे न नसीब
पहलू-ए-गुल में कभी ख़ार ने सोने न दिया
रात भर कीं दिल-ए-बेताब ने बातें मुझ से
मुझ को इस इश्क़ के बीमार ने सोने न दिया