भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बरखा का एक दिन / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (बरखा का एक दिन / अनातोली पारपरा का नाम बदलकर बरखा का एक दिन / अनातोली परपरा कर दिया गया है)
(कोई अंतर नहीं)

18:32, 24 जून 2009 का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अनातोली परपरा  » संग्रह: माँ की मीठी आवाज़
»  बरखा का एक दिन


हवा बही जब बड़े ज़ोर से

बरसी वर्षा झम-झमा-झम

मन में उठी कुछ ऎसी झंझा

दिल थाम कर रह गए हम


गरजे मेघा झूम-झूम कर

जैसे बजा रहे हों साज

ता-ता थैया नाचे धरती

ख़ुशियाँ मना रही वह आज


भीग रही बरखा के जल में

तेरी कोमल चंदन-काया

मन मेरा हुलस रहा, सजनी

घेरे है रति की माया