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"जीने का हौसला है / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'" के अवतरणों में अंतर
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जीने का हौसला है, ये और बात है | जीने का हौसला है, ये और बात है | ||
21:54, 24 जून 2009 के समय का अवतरण
जीने का हौसला है, ये और बात है
जीने का फैसला कहाँ अपने हाथ है
खुद को तलाशने में समझ आ गई हमें
सागर में एक बूँद की कितनी बिसात है
सूरज न निकलने से समय तो नहीं थमा
होता रहा है दिन भी, हुई रोज़ रात है
घिरकर मुसीबतों में न डरना, ये सोचना
गम़ डाल-डाल है, तो खुशी पात-पात है
देखें ज़रा तो हम भी कि इस राहे-वक्त़ में
मंजिल कहाँ कज़ा है, कहाँ पर हयात है