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"वो जिबह करके यह कहते हैं / शाद अज़ीमाबादी" के अवतरणों में अंतर
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कि हो नियाम में और काट ले गुलू मेरा॥ | कि हो नियाम में और काट ले गुलू मेरा॥ | ||
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14:46, 2 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
वोह जिबह करके यह कहते हैं मेरी लाश से-।
"तड़प रहा है कि मुँह देखता है तू मेरा॥
कराहने में मुझे उज़्र क्या मगर ऐ दर्द।
गला दबाती है रह-रह के आबरू मेरा॥
कहाँ किसी में यह क़ुदरत सिवाय तेग़े-निगाह।
कि हो नियाम में और काट ले गुलू मेरा॥