भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वो खुशनिगाह नहीं, जिसमें खुदानुमाई नहीं / शाद अज़ीमाबादी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शाद अज़ीमाबादी }} <poem> वो खु़शनिगाह नहीं, जिसमें ख...)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:14, 2 जुलाई 2009 के समय का अवतरण


वो खु़शनिगाह नहीं, जिसमें ख़ुदनुमाईं नहीं।
यह चश्मदीदा हैं, बातें सुनी-सुनाई नहीं॥

ख़याल से है कहीं दूर आस्तानए-दोस्त!
वहाँ का शौक़ है दिल को, जहाँ रसाई नहीं॥

मरीज़े-हिज्र को लाज़िम है तेरे ज़ुल्म की याद।
दवा यही है मगर हमने आज़माई नहीं॥

वोह आशिक़ों से है नाराज़ क्यों, खु़दा जाने?
वफ़ूरे-शौक़ का होना कोई बुराई नहीं॥

ज़बाँ पै ज़िक्र मगर दिल में वसवसा ऐ ‘शाद’।
ख़ता मुआफ़ यह धोका है पारसाई नहीं॥